उज्जैन,मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ केंद्रीय श्री गुरु सिंघ सभा द्वारा एक आठ दिवसीय इंटर-स्टेट गुरमत शिक्षण शिविर 2025 गुरुद्वारा साहिब गुरु नानक घाट, उज्जैन आयोजित किया गया है । यह शिविर 08 जून 2025 तक निरंतर चलेगा l आज शिविर में बच्चों को पगड़ी का महत्व बताया गया एवं पगली बांधना भी सिखाया गया l
सिख समाज के प्रवक्ता एस एस नारंग ने बताया कि
सिख धर्म में पगड़ी का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व, आध्यत्मकता और पगड़ी बांधने की कई शैलियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना सांस्कृतिक और क्षेत्रीय महत्व है। कुछ सामान्य शैलियों में दस्तार, पगड़ी शामिल हैं।
पगड़ी का रंग व्यक्तिगत या प्रतीकात्मक महत्व रखता है। सिख अपनी व्यक्तिगत पसंद या सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर अलग-अलग रंगों की पगड़ियाँ पहन सकते हैं।
सिख पगड़ी सांस्कृतिक विरासत और पहचान है
ऐतिहासिक रूप से, पगड़ियाँ गर्मी, सर्दी और धूल जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षा प्रदान करती थीं।सिख अपनी आध्यात्मिकता और सिख शिक्षाओं के पालन के प्रतीक के रूप में बिना कटे बाल रखते हैं । पगड़ी बालों को साफ और सुरक्षित रखने में मदद करती है।
बालों के प्रति सम्मान : सिख धर्म में बालों को पवित्र माना जाता है और उन्हें पगड़ी से ढंकना श्रद्धा का प्रतीक है।
समकालीन समाज में, सिखों की पहचान और पहचान में पगड़ी की अहम भूमिका है ।
सिख धर्म में पगड़ी अपने भौतिक स्वरूप से आगे बढ़कर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयामों को मूर्त रूप देती है। यह पहचान, समानता और सिख सिद्धांतों के प्रति समर्पण का प्रतीक है, साथ ही विविध समाजों में सिखों की मौजूदगी और लचीलेपन का एक स्पष्ट प्रतीक भी है।