उज्जैन,देशभर में हिंदी भाषियों के साथ हो रहे भेदभाव और मारपीट की घटनाओं के विरोध में स्वर्णिम भारत मंच उज्जैन द्वारा एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। मंच ने घोषणा की है कि 7 जुलाई को जिला कलेक्टर उज्जैन को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें हिंदी भाषियों के साथ हो रहे अन्याय और हिंसा पर कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा।
स्वर्णिम भारत मंच ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चाहे महाराष्ट्र हो या भारत का कोई भी अन्य राज्य, यदि वहां हिंदी भाषी नागरिकों को प्रताड़ित किया गया या उन्हें केवल भाषा के आधार पर शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई, तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। यह आंदोलन किसी एक राज्य तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश के हिंदीभाषी समाज को साथ लेकर एक सशक्त और संगठित विरोध दर्ज कराया जाएगा।
मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि यह किसी क्षेत्रीय भाषा या उसकी संस्कृति के विरोध में नहीं है। भारत एक बहुभाषीय और बहुसांस्कृतिक देश है और हर भाषा, हर क्षेत्र को उसका सम्मान मिलना चाहिए। किंतु यदि हिंदी, जो कि भारत की राजभाषा है, उसे बोलने वाले नागरिकों के साथ असहिष्णुता और हिंसा का व्यवहार किया जाता है, तो यह न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी घातक है।
स्वर्णिम भारत मंच का कहना है कि हाल ही में कुछ राज्यों में हिंदी भाषियों के साथ मारपीट और सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं ने हिंदी भाषी समाज में असंतोष और आक्रोश को जन्म दिया है। इसी के मद्देनज़र, संगठन ने यह निर्णय लिया है कि प्रशासन के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए।
ज्ञापन में यह भी मांग की जाएगी कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि देश के किसी भी कोने में भाषा के नाम पर कोई भेदभाव या हिंसा न हो और यदि ऐसी घटनाएं होती हैं तो दोषियों पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए। साथ ही हिंदी भाषियों को सुरक्षा और सम्मान दिया जाए।
स्वर्णिम भारत मंच ने आम जनता, सामाजिक संगठनों और हिंदी प्रेमियों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें और हिंदी को उसका संवैधानिक और सामाजिक सम्मान दिलाने के लिए एकजुट हों। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन और सरकारों ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया, तो भविष्य में और अधिक उग्र आंदोलन छेड़े जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
हिंदी केवल एक भाषा नहीं, हमारी पहचान और आत्मा का हिस्सा है, और उसके सम्मान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
दिनेश श्रीवास्तव
स्वर्णिम भारत मंच उज्जैन –