किसी अन्य की रचनापाठ का अनूठा कार्यक्रम सरल काव्यांजलि का अनूठा आयोजन

उज्जैन। पठन-पाठन को प्रोत्साहन देने के लिए संस्था सरल काव्यांजलि ने स्थानीय ऋषिनगर में एक अनूठा कार्यक्रम साहित्य अपने आसपास का आयोजन किया, जिसमें हर सदस्य ने स्वयं द्वारा रचित नहीं, बल्कि किसी अन्य साहित्यकार की रचना का पाठ किया।
जानकारी देते हुए संस्था के सचिव डॉक्टर संजय नागर ने बताया कि इस अवसर पर अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद को स्मरण करते हुए श्री प्रदीप ‘सरलÓ ने अपने पिताश्री और राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण ‘सरलÓ की पँक्तियाँ ‘चन्द्रशेखर नाम सूरज का प्रखर उत्ताप हूँ मैं, फूटते ज्वालामुखी सा क्रांति का उदघोष हूँ मैंÓ सुनाईं। विजयसिंह गेहलोत ‘साकित उज्जैनीÓ ने क़तिल शिफ़ाई की ग़ज़ल, डॉक्टर रफीक नागौरी ने समर कबीर की ग़ज़ल ‘देखते रहते हैं ये मकड़ी के जले मुझे/किसको फुर्सत है यहाँ कौन संभाले मुझेÓ, के.एन. शर्मा ‘अकेलाÓ ने जगदीश पण्ड्याजी की ग़ज़ल तथा सन्तोष सुपेकर की लघुकथाएँ, ‘सर्द जवाबÓ तथा ‘वह स्वरÓ सुनाईं।
श्री मधुदीप की लघुकथा ‘ममताÓ का पाठ कोमल वाधवानी ‘प्रेरणाÓ ने तथा कोमल जी की लघुकथा ‘अंधों का घरÓ का पाठ श्रीमती आशागंगा प्रमोद शिरढोणकर ने किया। डॉक्टर महेश क़ानूनगोजी ने सन्तोष सुपेकर की कविता, नारायणदास मन्घवानीजी ने अटलजी की एवं माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पढ़ी। नरेंद्र शर्मा ‘चमनÓ ने अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आज़ाद की जीवन के अछूते पक्षों पर बात करते हुए स्व. नरेंद्र श्रीवास्तव ‘नवनीतÓ की कविता का वाचन किया। सन्तोष सुपेकर ने केदारनाथसिंह की कविता ‘शामें बेच दी हैंÓ, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता ‘ईश्वरÓ तथा के एन शर्मा ‘अकेलाÓ की ग़ज़ल ‘खतावार हैं हम भीÓ पढ़ी। आशीष श्रीवास्तव ‘अश्कÓ ने विजयदेव नारायण साही की कविता तथा श्री दिलीप जैन ने बालस्वरूप राही की रचना ‘जिन्हें जो चाहिए था, मिल गया उनको अधिक या कम/हमें क्या चाहिए यह सोचते ही रह गए हमÓ का पाठ किया। श्री रामचन्द्र धर्मदासानी ने जीवनप्रकाश आर्य की पँक्तियाँ ‘अभिशाप एक पराजित काÓ तथा साहिर लुधियानवी की एक ग़ज़ल का सस्वर वाचन किया।
इस अवसर पर ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल, उज्जैन शाखा का अध्यक्ष चुने जाने पर श्री आशीष श्रीवास्तव का स्वागत किया गया। दो मिनट का मौन रखकर, हाल ही में दिवंगत हुए शहर के साहित्यकार श्री अमृतलाल ‘अमृतÓ, श्री नरेंद्र श्रीवास्तव ‘नवनीतÓ तथा संस्था महासचिव श्री राजेन्द्र देवधरे की भगिनी श्रीमती अनिता चौहान को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
प्रारम्भ में अतिथि स्वागत श्री अशोक जैन ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री दिलीप जैन ने किया। अध्यक्षता श्री रामचन्द्र धर्मदासानी ने की और अंत में आभार श्री आशीष श्रीवास्तव ‘अश्कÓ ने माना।