जिस विधा में मन लगे वही लिखें : डॉ. पुष्पा चौरसिया

उज्जैन। भाव सबके मन में उठते हैं उन भावों को यथा रूप में उतारना जरूरी है। आपका जिस विधा में मन लगे और कलम साथ दे, वही लिखें। उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पुष्पा चौरसिया ने सरल काव्यांजलि संस्था द्वारा नागर क्लिनिक, मक्सी रोड पर आयोजित मासिक गोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत स्मृति चिन्ह भेंट कर संस्था द्वारा वरिष्ठ नागरिक के तौर पर उनका सम्मान भी किया गया।
जानकारी देते हुए संस्था सचिव डॉ. संजय नागर ने बताया कि इस अवसर पर संस्था से जुड़े नवीन सदस्यों वरिष्ठ साहित्यकार, पूर्व ए.डी.एम. (उज्जैन) डॉ. आरपी तिवारी व लघुकथाकार, कवयित्री श्रीमती वर्षा गर्ग (मुंबई) का स्वागत किया गया। विजयसिंह गेहलोत ‘साकित उज्जेनीÓ ने गजल ‘हम अपनी ज़िंदगी के सताए हुए तो हैं/पर अपना हर एक फज़र् निभाए हुए तो हैंÓ सन्तोष सुपेकर ने कविता ‘हो सके तो मत आनाÓ और ‘बहुत सालों बादÓ, दिलीप जैन ने ‘पर्वतों का परिधान हैं जंगल/जड़ी बूटियों से सज्जितÓ, डॉक्टर रफीक नागौरी ने ‘हर घड़ी इम्तिहान जारी है/ जिन्हें जख्म दिया वो इनायत करेंगे/वही आँसुओं की तिजारत करेंगेÓ डॉक्टर वन्दना गुप्ता ने लघुकथा ‘गुडलकÓ, शिवदानसिंह साँवरे ने ‘उज्जेनी का वासी हूँ मैं शिव है मेरा नाम/महाकाल की इस नगरी से सबको मेरा प्रणामÓ मानसिंह शरद ने ‘ये तिरंगा तो जान से भी प्यारा हैÓ माया मालवेंद्र बदेका ने माता हरसिद्धि पर मालवी गीत, राजेश ठाकुर निर्झर ने ‘दिल में जो रहता है प्यारे, वही जुबां पर आता हैÓ श्रीमती वर्षा गर्ग ने लघुकथा ‘केयरटेकरÓ तथा कविता ‘दरवाजेÓ सुनाई। विशेष अतिथि डॉ. आरपी तिवारी ने गोष्ठी को सार्थक बताते हुए कविता ‘मैं पंछी हूँ नील गगन मेंÓ प्रस्तुत की।
इस अवसर पर दो मिनट का मौन धारण कर हाल ही में दिवंगत हुए हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि दी गई।
प्रारम्भ में सरस्वती वंदना माया बदेका ने सुनाई। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष सन्तोष सुपेकर ने दिया। संचालन दिलीप जैन ने किया। आभार संस्था सचिव डॉ. संजय नागर ने माना।