भारतीय मुद्राओं पर लक्ष्‍मी, गणेश के चित्र अंकित करना सनातन धर्म के प्रतीक चिह्नों का प्रत्‍यक्ष अपमान है

उज्‍जैन। भारतीय मुद्रा पर पर भगवान के चित्र अंकित करने की दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री श्री अरविन्‍द केजरीवाल की मांग को श्री मौनतीर्थ पीठ के पीठाधीीश्‍वर संतश्री डॉ. सुमनभाई जी ने अनुचित बताया है। पूज्‍य भाईजी ने बताया कि इससे सनातन धर्म के पूज्‍य देवताओं का अपमान होगा। इस तारतम्‍य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महामहिम राष्‍ट्रपति द्रोपदि मुुर्मू, रिजर्व बैंक के गवर्नर को पत्र लिखकर इस अनुचित मांग को न मानने का अनुरोध किया हैं। पूज्‍य भाईजी ने पत्र में लिखा कि दिल्‍ली सरकार के मुख्‍यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के प्रमुख श्री अरविंद केजरीवाल ने दीपावली के अवसर पर भारत सरकार को एक पत्र लिखकर यह मांग की हैं कि भारतीय मुद्राओं पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश के चित्र अंकित कर दिए जाए। उनका मानना है कि इससे हमारे देश की अर्थव्‍यवस्‍था उन्‍नत होगी। उनकी इस मांग को सभी विश्‍लेषलकों ने राजनीति से प्रेरित बताया है और यह बात 100 प्रतिशत सही भी है। क्‍योंकि जिनके मंत्री, पदाधिकारी देवी देवताओं की पूजा न करने की कसमें खिलाते हो, उनकी तरफ से ऐसी मांग किया जाना प्रत्‍यक्ष रूप से राजनैतिक महत्‍वकांक्षा दर्शाती है। इससे यह बात तो साफ हो गई है कि देश की सभी पार्टीयां सनातन धर्म और इससे जुड़े वोट बैंक की तरफ उन्‍मुख हो रही है। यह सनातन संस्‍कृति के लिए अच्‍छी बात हैं। रही बात भारतीय मुद्राओं पर भगवान और शहीदों के चित्र अंकित करने की तो, वर्तमान समय में यह ठीक नहीं हैं, क्‍योंकि कुछ विद्वानों का यह मत यह भी हैं कि प्राचीन काल में स्‍वर्ण, रजत, तांम्र एवं लौह मुद्राओं पर देवी देवताओं के चित्र अंकित होते रहे हैं। समय के साथ इन मुद्राओं का चलन समाप्‍त हो गया और भारतीय मुद्रा वर्तमान समय में कागज की हो गई। ऐसे में इन मुद्राओं की गणना एक साधारण व्‍यक्ति थूंक लगाकर करता हैं, उसको किसी भी अवस्‍था में संग्रह करता है। इससे सनातनी परम्‍परा के देवी देवताओं का प्रत्‍यक्ष अपमान है। इसके साथ ही कुछ देशभक्‍त भारतीय मुद्रा पर हूतात्‍मा बलिदानी जैसे भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचन्‍द्र बोस आदि के चित्र अंकित करने की मांग करते रहते हैं। इस संदर्भ में हमारा ऐसा मानना है कि यदि भारतीय मुद्राओं पर ऐसे हूतात्‍मा बलिदानी जो हमारे लिए पूजनीय हैं या श्रद्धा के केंद्र है उनके चित्रों का अंकण होता है तो वो भी उचित नहीं होगा, क्‍योंकि प्रत्‍यक्ष रूप से मुद्रा की गणना के समय उस पर थूंक लगता है, समारोहों में मुद्राओं को न्‍यौछावर के रूप में लुटाया जाता है। माननीय आपको विदित हैं कि गुजरात में आज भी सांस्‍कृतिक समारोह के समय गायकों के ऊपर नोट लुटाने की परम्‍परा हैं। ऐसे में कागज की यह मुद्रा नीचे भी गिरती हैं, पैरों में भी आती है। इस तरह इसका जगह-जगह प्रत्‍यक्ष रूप से अपमान होता है। अगर इन पर देवी देवताओं और शहीदों के चित्रों का अंकण होता हैं तो इससे हमारे देवी देवताओं और शहीदों का भी अपमान ही होगा। इसलिए हम श्री केजरीवाल जी कि यह मांग कि भारतीय मुद्राओं पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश के चित्र अंकित हो का प्रत्‍यक्ष रूप से विरोध करते हैं। महोदय, हमारा तो यह भी सोचना हैं कि भारतीय डाक टिकटों पर भी देवी देवताओं और शहीदों और हमारे लिए श्रद्धास्‍पद जो भी व्‍यक्तित्‍व हैं उनका भी अंकण नहीं होना चाहिए। क्‍योंकि डाक टिकट को भी थूंक लगाकर चिपकाया जाता है और डाकघर में भूमि पर रखकर उस पर मोहर अंकित की जाती है। और यह डाक टिकट लगी हुई डाक जमीनों पर पड़ी रहती हैं, साथ ही पत्रों को पढ़कर लिफाफे इधर-उधर नाले, नालियों में पड़े मिलते हैं। इससे इन सब का अपमान होता है। अत: श्रीमान से निवेदन है कि सनातनी, धार्मिक एवं देशभक्ति की भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए इस तरह के प्रस्‍ताव पर उचित निर्णय लें।