उज्जैन, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र *विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत् 2079)* अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह के तीसरे दिन *”स्कंदगुप्त”* की प्रस्तुति हुई। भोपाल के नाट्य समुह *एक रंग* द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का निर्देशन प्रख्यात बालीवुड निर्देशक एवं सेट डिजाइनर जयंत देशमुख ने किया। यह नाटक देशभक्ति और राष्ट्रीयता पर केन्द्रित था। पूरी कहानी स्कंदगुप्त की राष्ट्रभक्ति और उसकी आक्रांताओं से लड़ाई के आसपास घुमती है। स्कंदगुप्त नहीं चाहते कि वे राजा की गद्दी संभाले वो हमेशा सैनिक के रूप में खुद को देखना चाहते हैं। नाटक में स्कंदगुप्त की प्रेम कहानी को भी दर्शाया गया है। नाटक में भावपूर्ण संगीत, देश प्रेम के गाने भी सुनायी देते है। सेट और कलाकारों की वेशभूषा ने दर्शकों को पूरे समय तक बांधे रखा।
दो घंटे तीस मिनट की इस प्रस्तुति में 45 कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। नाटक की रचना जयशंकर प्रसाद द्वारा की गयी। संगीत परिकल्पना ब.व. कारंत व अन्य संगीत रचना तथा पार्श्व संगीत आमोद कृष्ण भट्ट ने दिया। वेशभूषा- जयंत देशमुख, शस्त्र संचालन-रूपेश चौहान, गुख्य गायन-सुभाश्री भट्ट, ताल वाद्य- रवीन्द्र बेलवंशी, बासूरी पर वीरेन्द्र कोरे सुर-ताल दे रहे थे। नाटक के मुख्य पात्र की भूमिका में स्कंदगुप्त-अवनीश नंदावत, कुमारगुप्त- पवन दीप, गोविन्दगुप्त- कुलदीप मालवीय, पर्णदत्त- रतन लाल, देवकी के रूप में अर्शिन मेहता, अनंतदेवी- प्रियंका सिंह, जयमाला- प्रगति सिंह राजपूत, देवसेना- प्रियंका कश्यप, विजया- श्रेया रंजन तथा कमला-सपना भारद्वाज व अन्य कलाकार शामिल थे।
*आज की प्रस्तुति ”आदिशंकराचार्य”*
17 मार्च को संजय मेहता निर्देशित ”आदिशंकराचार्य” की प्रस्तुति होगी। यह कहानी 12 वर्ष के उस बालक की है जो दक्षिण भारत में पैदा हुआ और जिसमें अपने लेखन और अनुभव के आधार पर संपूर्ण विश्व को दिशा दी।