पंचक्रोशी यात्रा पड़ाव स्थलों का संभागायुक्त व आईजी ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया

उज्जैन । पंचक्रोशी यात्रा वैशाख माह की कृष्ण दशमी (15 अप्रैल) से प्रारम्भ होकर अमावस्या (19 अप्रैल) को समापन होगी। प्रशासन के द्वारा यात्रा मार्ग एवं पड़ाव, उप पड़ाव स्थलों का निरीक्षण कर सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारियों को पंचक्रोशी यात्रियों के लिये मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं। गुरूवार 13 अप्रैल को पूर्वाह्न में संभागायुक्त श्री संदीप यादव, आईजी श्री संतोष कुमार सिंह, डीआईजी श्री अनिल कुशवाह ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मन्दिर से भ्रमण की शुरूआत की। संभागायुक्त श्री संदीप यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पंचक्रोशी यात्रा पड़ाव स्थल एवं यात्रा मार्ग पर की जाने वाली व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है, इसलिये अधिकारी आवश्यकता अनुसार समुचित यात्रियों की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवायें।

संभागायुक्त एवं आईजी ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मन्दिर से भ्रमण प्रारम्भ कर उंडासा, पिंगलेश्वर, शनि मन्दिर का भ्रमण कर सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को यात्रियों की सुविधाओं के लिये व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। भ्रमण के दौरान कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा, नगर निगम आयुक्त श्री रोशन सिंह, एडीएम श्री अनुकूल जैन, एसडीएम श्री राकेश शर्मा आदि अधिकारी उपस्थित थे। भ्रमण के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि पड़ाव स्थलों पर विद्युत व्यवस्था करने के पूर्व सेफ्टी प्रमाण-पत्र अनिवार्य रूप से लिया जाये। विद्युत के मामले में किसी प्रकार का जोखिम न ली जाये। किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। पड़ाव स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश सम्बन्धित को दिये गये। पंचक्रोशी यात्रा में प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होती है, इसलिये अधिकारी उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखते हुए टेन्ट, विद्युत, पेयजल आदि की पर्याप्त व्यवस्था करें। पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में अगर कहीं पेड़ों व अन्य स्थानों पर मधुमक्खी के छत्ते हों तो उन्हें हटाया जाये। संभागायुक्त श्री संदीप यादव ने लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिये कि पिंगलेश्वर के समीप रेलवे पुल के नीचे यात्रियों की सुविधा के लिये सड़क ठीक की जाये, ताकि यात्रियों को चलने में असुविधा न हो।

पंचक्रोशी यात्रा 118 किलो मीटर की है। श्री महाकालेश्वर भगवान यात्रा के मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये भगवान महाकाल ने चार द्वारपाल शिव रूप में स्थापित किये हैं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं। इसका उल्लेख स्कंदपुराण के तहत अवंतिका खण्ड में है। पंचक्रोशी यात्रा में इन्हीं चार द्वारपाल की कथा, पूजा विधान में इष्ट परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी यात्रा के मूल में शिव के पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन की ही प्रधानता है। क्षेत्र के रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर भगवान का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। उज्जयिनी के पूर्व में स्थित चौरासी महादेव में से 81वा लिंग है। इस महाकाल वन का पूर्व द्वार पिंगलेश्वर माना जाता है। पंचक्रोशी यात्रा का यह पहला पड़ाव है। दक्षिण में कायावरणेश्वर महादेव (करोहन), पश्चिम में बिलकेश्वर महादेव (अंबोदिया) तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव (जैथल) जो चौरासी महादेव मन्दिर की श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं। इसी तरह करोहन से नलवा उप पड़ाव स्थल, कालियादेह उप पड़ाव स्थल, उंडासा पड़ाव स्थल है। पांच दिवस की पंचक्रोशी यात्रा का पुण्यफल अवंति में वास में करने का अधिक है। वैशाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान एवं श्री नागचंद्रेश्वर के पूजन के पश्चात यात्रा प्रारम्भ होती है जो 118 किलो मीटर की परिक्रमा करने के बाद कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है और तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर वैशाख कृष्ण अमावस को शिप्रा स्नान के पश्चात यात्रा का समापन होता है।