शिप्रा प्रवाहमान बने और महाकाल मंदिर का व्यवसायीकरण रुके

उज्जैन। सिंहस्थ से पहले शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाया जाए और इसके लिए सरकार साधु संतों के साथ विचार विमर्श कर योजना बनाए ताकि कुंभ में साधु संत पर्व और शाही स्नान शिप्रा के जल में कर सकें।
अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरिगिरी जी महाराज साधु संतों के साथ गंगाघाट स्थित मौनतीर्थ पीठ पहुंचे और निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरी से भेंट हुई। इस दौरान अखाड़ा परिषद ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए शासन और प्रशासन को अभी से प्रयास करना चाहिए। इसके लिए साधु संतों के साथ बैठक कर विचार विमर्श भी करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद गिरी जी ने शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को सौंपा था।
मौनतीर्थ पर सभी साधु संतों का सम्मान किया गया एवं महाकाल मंदिर के बढ़ते व्यवसायीकरण को लेकर भी चर्चा हुई। महाकाल मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन और प्रोटोकॉल दर्शन लिए शुल्क अनिवार्य कर दिया है। गर्भगृह में जल चढ़ाने के लिए भी राशि निर्धारित की गई है। इसको लेकर भी साधु संत प्रशासन से चर्चा करेंगे। भेंट के दौरान इलाहाबाद के संत भी उपस्थित थे।