उज्जैन। लोक अदालत विवाद के पक्षकारों को समझौते के आधार पर सहज एवं सुलभ न्याय दिलाने का सरल एवं निःशुल्क माध्यम है। लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण से पक्षकारों के समय एवं धन की बचत होती है तथा आपसी भाईचारा एवं सद्भाव भी बना रहता है साथ ही लोक अदालत का निर्णय अंतिम होने से आगे किसी भी मुकदमेबाजी की संभावना समाप्त हो जाती है।
उक्त विचार गत दिवस आयोजित नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ के दौरान प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री दीपेश तिवारी ने कही। जिला न्यायालय भवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विशेष न्यायाधीश एवं संयोजक लोक अदालत श्री सुनील कुमार, जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिविसेप्रा श्री कपिल भारद्वाज, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई एवं अन्य न्यायाधीशगण, पेनल लॉयर्स एवं अतिथिगण के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ कर समस्त पीठासीन अधिकारियों को नेशनल लोक अदालत में रखे गए प्रकरणों का अधिक से अधिक संख्या में निराकरण करने संबंधी निर्देश एवं शुभकामनाएं दी गई।
नेशनल लोक अदालत में हज़ारों की संख्या में पक्षकारगण, आम नागरिक लाभान्वित हुए। विशेषकर पारिवारिक प्रकृति के विवादों के साथ-साथ क्लेम, विद्युत चोरी, चेक बाउंस, आपराधिक एवं दीवानी प्रकरणों का काफी संख्या में निराकरण हुआ। पारिवारिक प्रकरणों में अनेक बिछडे़ हुये परिवारों को मिलाया गया एवं मोटर दुर्घटना क्लेम प्रकरणों में पीड़ित व्यक्तियों को लाखों रुपए की क्षतिपूर्ति राशि के अवार्ड भी पारित हुए।
परिवार न्यायालय में एक दंपत्ति के मध्य आपसी मनमुटाव के कारण काफी समय से विवाद चल रहा था, किंतु संतान के भविष्य को लेकर न्यायालय द्वारा समझाईश दी गई तथा दंपत्ति को उपस्थित अधिकारीगण द्वारा पुष्पमाला पहनाई गई एवं दोनों को उनके सुनहरे भविष्य की कामना करते हुए खुशी-खुशी विदा किया गया।
इस लोक अदालत में विद्युत अधिनियम संबंधी विशेष न्यायाधीश (शहरी क्षेत्र) श्री संजय श्रीवास्तव द्वारा 120 एवं विद्युत अधि. विशेष न्यायाधीश (ग्रामीण क्षेत्र) श्री सुनील कुमार शोक द्वारा 62 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिनमें काफी प्रकरण 05 साल की लंबी अवधि से न्यायालय में लंबित थे।
लोक अदालत की विशेष झलकियां
वन विभाग के सहयोग से प्रकरणों में समझौता करने वाले पक्षकारों को न्याय वृक्ष प्रदान किया गया एवं आयुष विभाग के सहयोग से प्रकरणों में समझौता करने वाले पक्षकारों को अश्वगंधा का पौधा न्याय वृक्ष के रूप में प्रदान किया गया।
रिक्रिएट सोशल डेवलपमेंट सोसायटी के सहयोग से जिला न्यायालय भवन में ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का शुभारंभ किया गया, जिससे न्यायालय में आने वाली धात्री महिलाओं को अपने नवजात शिशुओं/बालकों को स्तनपान कराने में परेशान नहीं होना पडे़गा। इसके साथ ही लॉयंस क्लब शिवाय के सहयोग से जिला न्यायालय भवन में स्थित प्राथमिक उपचार केंद्र में ब्लड प्रेशर इलेक्ट्रॉनिक मशीन भेंट की गई।
इस अवसर पर लोक अदालत के संयोजक एवं विशेष न्यायाधीश श्री सुनील कुमार एवं परिवार न्यायालय के न्यायाधीश श्री वी.के. गुप्ता, जिला न्यायाधीशगण श्री संजीव गुप्ता, श्री संजय श्रीवास्तव, श्री विवेक कुमार चंदेल, श्री शशिकांत वर्मा, श्री संजय राज ठाकुर, श्री सुनील कुमार शोक, श्रीमती मंजुल पाण्डेय, श्री अभिषेक नागराज, श्री राजेश जैन, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री राजेंद्र सिंह सिंगार व न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री अतुल यादव, श्री विनायक गुप्ता, श्री प्रतीक सिंह तोमर, श्री सीताराम दास, सुश्री सोनाली वर्मा, सहित समस्त न्यायिक अधिकारीगण, शासकीय अधिवक्तागण, मण्डल अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री अशोक यादव, कार्यकारिणी सदस्य श्री महेंद्र सोलंकी, अधिवक्ता श्री हरदयाल सिंह ठाकुर, श्री संतोष कुमार सिसोदिया, श्री मनोज कुमार सुमन, चीफ एलएडीसीएस अधिवक्तागण क्रमशः श्री संतोष मालवीय, श्री प्रकाशचंद्र सैनी, श्री सौमित्र सिन्हा, श्री सौरभ सुराना, श्री राम संतोष फुफवाले, सुश्री दुर्गेश साहू सहित अन्य अधिवक्तागण तथा प्राधिकरण के सचिव श्री कपिल भारद्वाज, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई, अभियोजन अधिकारीगण, एलडीएम श्री बलराम बैरागी एवं विभिन्न बैंकों के अधिकारीगण, फाईनेंस कंपनियों एवं विद्युत विभाग के अधिकारीगण, समस्त न्यायालयीन कर्मचारीगण, पैरालीगल वाॅलंटियर्स श्रीमती प्रीति गोयल, श्रीमती अंजना शुक्ला, श्री अजेंद्र त्रिवेदी, श्रीमती प्रीति धाणक, श्रीमती अनीता पंवार, श्रीमती रेखा व्यास, एवं सामाजिक कार्यकर्तागण श्री नरेशपाल सिंह तोमर, श्रीमती स्वाति फटाले एवं काफी संख्या में पक्षकारगण उपस्थित रहें।
उक्त लोक अदालत में प्रीलिटिगेशन के 12908 रखे गए प्रकरणों में से 3103 प्रकरण तथा न्यायालय में लंबित 4940 रखे गए प्रकरणों में से 1217 प्रकरण निराकृत हुए। लोक अदालत में कुल 4320 प्रकरणों का निराकरण हुआ और कुल रु.105314414/- की राशि के अवार्ड पारित हुए तथा 5947 पक्षकारगण लाभांवित हुए, जिसमें आपराधिक मामले 406, चेक बाउंस 250, सिविल 24, वैवाहिक प्रकरण 23, मोटर दुर्घटना के 77 क्लेम प्रकरणों में पीड़ित व्यक्तियों को रु.18125000/- के अवार्ड पारित हुए। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता फोरम न्यायालय में लंबित 23 प्रकरणों का निराकरण किया जाकर रु.1742058/- के अवार्ड पारित हुए।