नये-नये आविष्कार की आवश्यकता है नई-नई बीमारियों के लिये : डॉ. अखिलेश पाण्डे

उज्जैन। शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. जे.पी. चौरसिया ने बताया कि संस्था में पंचकर्म एवं रचना शारीर विभाग में सी.एम.ई. कार्यक्रम के समापन समारोह के अंतर्गत पंचकर्म विभाग में अंतिम दिन के वक्ता डॉ. हरिमोहन शुक्ला, प्रोफेसर, आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर ने कार्याकल्प कैसा किया जाये इस पर अपना व्याख्यान दिया।
इसी प्रकार रचना शारीर विषय में सीएमई कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम वक्ता के रूप में डॉ. अमित शर्मा, प्रोफेसर, आयुर्वेद महाविद्यालय, नई दिल्ली ने स्पाइनल कार्ड एवं ब्रेन के डिसेक्शन के बारे में बताया। आयुर्वेद महाविद्यालय, पुणे के प्रधानाचार्य डॉ. सरोज विनय पाटिल द्वारा गर्भ शारीर के बारे में विस्तृत व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का समापन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय डॉ. अखिलेश पाण्डे ने धन्वन्तरी पूजन के साथ सम्पादित किया। डॉ. योगेश वाणे द्वारा छ: दिन कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत डॉ. जे.पी. चौरसिया द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में जोधपुर विश्वविद्यालय के डॉ. राकेश शर्मा, आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर के डॉ. हरिमोहन शुक्ला एवं डॉ. सरोज पाटिल, प्रधानाचार्य आयुर्वेद महाविद्यालय पुणे मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिरोमणि मिश्रा द्वारा किया गया और आभार डॉ. नृपेन्द्र मिश्र ने माना। उक्त जानकारी सीएमई के सचिव डॉ. नृपेन्द्र मिश्रा एवं डॉ. योगेश वाणे द्वारा जानकारी दी गई।