सन्त उमाकान्त जी महाराज ने अपने स्वास्थ्य को लेकर प्रेमियों को दी जानकारी

उज्जैन, बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन पर चल रहे तीन दिवसीय आध्यात्मिक होली कार्यक्रम के प्रथम दिन, 13 मार्च 2025, को सतसंग सुनाते हुए वक़्त गुरु परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर प्रेमियों से कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, शरीर बूढ़ा हो गया है और अब पहले जैसा साथ नहीं दे रहा है। इसी कारण वे ज्यादा कुछ सुनाने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन उन्होंने प्रेमियों से आग्रह किया कि जो सतसंग पहले सुनाया गया है, उसे नए लोग ध्यान से सुनने और समझने का प्रयास करें।

सतसंग की शक्ति: जीवन को सार्थक बनाने के लिए जानें, समझें और दूसरों को भी बताएं।

आगे पूज्य महाराज जी ने फरमाया कि जो प्रेमी पहले से सतसंग सुनते आ रहे हैं, वे इसे दूसरों को भी सुनाएं और समझाएं। सन्त उमाकान्त जी ने यह भी कहा कि शरीर जब तक साथ देता है, तभी कोई भी कार्य संभव होता है, चाहे वह सांसारिक हो या आध्यात्मिक। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक है ताकि मन विचलित न हो और जीवन का असली उद्देश्य पूरा हो सके। उन्होंने प्रेमियों से आग्रह किया कि वे उन लोगों से मिलें जो पहले से सन्तमत को समझते हैं और उनसे पूछें कि सतसंग में क्या बताया गया, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्या निर्देश दिए गए, आहार-विहार के बारे में क्या कहा गया, और रोग होने पर उससे उबरने के लिए क्या उपाय बताए गए। उन्होंने प्रेमियों से यह भी कहा कि जो गुरु महाराज के समय से जुड़े हुए हैं और जिन्होंने उनकी दया को समझा है, वे आगे आकर सन्तमत के बारे में नए लोगों को समझाएं।

नाम, नामदान और सुमिरन-ध्यान-भजन के महत्व को समझें

महाराज जी ने प्रेमियों को भजन और ध्यान का महत्व समझाते हुए कहा कि बदलती परिस्थितियों में देश और दुनिया को बचाने के लिए, अपने शरीर को बचाने के लिए, अपने बच्चों को बचाने के लिए इसे जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सन्तमत को समझना आसान नहीं होता क्योंकि दुनिया के मत लंबे समय से चले आ रहे हैं और लोग उन्हें जल्दी समझ लेते हैं। लेकिन सन्तमत को समझाने और अपनाने में समय लगता है। उन्होंने प्रेमियों से आग्रह किया कि वे नाम, नामदान और सुमिरन-ध्यान-भजन के महत्व को समझें और इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। केवल इन्हीं के माध्यम से आत्मिक और सांसारिक उन्नति संभव है। उन्होंने प्रेमियों को चेताया कि यदि वे भजन-ध्यान को नहीं अपनाएंगे, तो धीरे-धीरे आध्यात्मिक मार्ग से पीछे हटते जाएंगे और किसी भी क्षेत्र में तरक्की नहीं कर पाएंगे। लेकिन यदि वे समय निकालकर भजन-ध्यान करने लगेंगे, तो जीवन के हर क्षेत्र में गुरु महाराज की दया उन्हें प्राप्त होगी।